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फालिस

08-11-2021 06:12:00   eHakimJi Team   

पक्षाघात या लकवा मारना  ( पेरालिसिस ) एक या ऐकाधिक मांसपेशी  समूह की मांसपेशियों  मे कार्य करने पूर्णता असर्मथ होने की स्थिति को कहते है । पक्षाघात से प्रभावित क्षेत्र समवेदन शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग का चलना फिरना या घूमना असम्भव हो जाता हैं। यदि दुर्बलता आंशिक हो तो उसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं।

घरेलू उपचार:-

सफेद कनेर की जड़ 25 ग्राम, सफेद चिरमिटी 2 ग्राम और काले धतूरे के पत्ते इन सबको पीसकर पानी डाल कर लुगदी बना लों और 125 ग्राम तिल में खरल करें, फिर कड़ाही में मन्दाग्नि से पकायें, दवा जब जल जाय तब उतार कर छान लों । इसकी मालिश करें । 

चिकित्सा:-

योंगेन्द्र रस 1-1 गोली सुबह, रसराज रस 1-1 गोली सुबह शाम , त्रियोंदशाँग गुग्गल 2-2 गोली दिन मे 3 बार, शिलाजित कैप्सूल 1-1 सुबह शाम ।

अपथ्यः-

अम्ल व लवण रस युक्त, भोजन, बैंगन, अरुई, (घुइयाँ), उड़द, राजमा, छोले, अचार, तली चीजें, मैंदा एंव बेसन से बनें खाद्य पदार्थ, पिज्जा, बर्गर, पैटीज, पेस्ट्री, दूध, गुड, तिल, लहसुन, गरम मसाले, अधिक गर्म व सीलन युक्त वातावरण में निवास, साबुन, व शैम्पू का अत्यधिक प्रयोग, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का अधिक प्रयोग ।

पथ्यः-

गेहूँ, मूगँ की दाल(छिलके वाली), लौकी, तोरई, कच्चा पपीता, गाजर, टिण्डे, पत्तागोभी, करेला, परवल, पालक, हरी मेंथी, अंकुरित अन्न, सहिजन की फली, चना, हरी मिर्च व अदरक (अल्प मात्रा में ), गाय का दूध व घृत सर्वोत्तम हैं। गोदुग्ध उपलब्ध न होने पर ही भैंस के दूध का प्रयोग करें। फलो मे सेब, पपीता, चीकू, अनार, अमरुद, बग्गूगोसा, जामुन, मौसमी आदि का प्रयोग सामान्य किया जा सकता हैं। सूखे मेवों मे काजू, बादाम, मुनक्का, किशमिश, अंजीर, चिलगोजा, छुहारे, खजूर, आदि का प्रयोग करें।

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