ARTHRITIS
02-08-2021 08:21:00 eHakimJi Team

गठिया
सन्धिशोथ यानि जोडों के दर्द मे रोगी के एक या कई जोडों में अकड़न या सूजन आ जाती है इस रोग में जोंडों में गाठें बन जाती हैं और शूल चूभन जैसी पीड़ा होती इस लिए रोग को गठिया भी कहते हैं सन्धिशोथ 100 से भी अधिक प्रकार के होते है।
घरेलू उपचार
15 ग्राम कुचला, जावित्री 125 ग्राम, 15 ग्राम दालचीनी अलग अलग कूटकर कुचला को 7 दिन तक भैंसे के गोबर मे गाडे इसके बाद 7 दिन तक गोमूत्र मे रखें । बाद में 3 किलोग्राम बकरी के दूध में मिलायें, कड़ी होने पर कुचला को गर्म पानी मे धो लें। सुखा लें और खरल में कूटकर बारीक होने पर दोनो दवायें मिला लें । फिर अदरक के रस मे एक एक करके मटर के दाने के बराबर गोली बना लें और सुखा लें, बदन दर्द, हाथ दर्द, गठिया का रोग जाता रहता है।
चिकित्सा
महायोगराज गुग्गल 2-2 गोली सुबह दोपहर शाम, वीरेन टैवलेट 2-2 गोली सुबह शाम, वायना 1-1 गोली सुबह शाम, महारास्नादि काढ़ा 20-20 उस खाना खाने के बाद जल के साथ ।
बाहरी प्रयोग
M P OIL की मालिश करें ।
पथ्य
गेहूँ की रोटी, घृत व शक्कर डालकर बनाया हलवा, किसी भी प्रकार का अन्तः व स्नेहन, पुनर्नवा, पत्रों का शाक, अनार, पका मीठा आम, अंगूर, एरण्ड तेल, मूँग की दाल, हींग, अदरक, सोंठ, मेंथी, अजवायन, लहसुन, सहिजन के फूल व कच्ची फली की सब्जी, हल्दी, घृतकुमारी का सेवन, गुनगुने जल का पान व स्नान,गर्म वातावरणमें निवास सेवनीय होता है। गुनगुने जल में तेज नमक डालकर पीडा व सूजन युक्त स्थान पर सिकाई करने से विशेष लाभ होता हैं।
अपथ्य
चना, मटर, सोयाबीन, आलू, उड़द, राजमा, मसूर, कटहल, फूलगोभी, खीरा, टमाटर, अमचूर, नींबू, संतरा, अंगूर, दही, छाछ, आदि खटटा, पदार्थ, भैंस का दूध, ठण्डा जल पीना व स्नान, सीलन व ठण्डे स्थान पर निवास करना अहितकर होता हैं।